Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Minal Aggarwal

Abstract Romance

4  

Minal Aggarwal

Abstract Romance

प्रेम की मैं प्यासी पर

प्रेम की मैं प्यासी पर

1 min
338


नदी के 

उस पार 

ले जाने के 

लिए 

एक कश्ती 

पानी की सतह पर 

तैरती हुई 

एक जलतरंग सी 

बजती हुई 

एक शीशे की पारदर्शी मछली सी

उछलती हुई 

आई 

मेरे पास 

मेरे द्वार 

मेरे संसार 

मैं पड़ गई 

दुविधा में 

इसके प्रेम भरे 

प्रस्ताव 

इसके यत्न

इसकी गुहार को 

आखिर कैसे ठुकराऊं

इसे इसकी राह पर अकेला 

वापिस कैसे लौटाऊं

बिना माझी 

बिना पतवार की 

नाव में 

कैसे सवार हो जाऊं 

इसके साथ लहरों के पार 

चली जाऊं तो भी 

मैं क्या पाऊं 

इसको मेरा साथ चाहिए तो 

यहीं मेरे पास क्यों नहीं 

ठहर जाती 

एक मुश्किल राह पर 

वापिस लौटकर 

खतरा मोल लेकर 

अपनी जान को भी 

मझधार में क्यों 

डुबोती

क्यों नहीं समझती 

यह मेरे खामोश मन की 

बोली 

यह कृष्ण 

मैं राधा 

प्रेम की मैं 

प्यासी पर 

हूं तो 

एक सागर की गहराई सी ही 

प्रेम के संसार से अंजान

एक मासूम 

एक नादान 

एक कन्या 

शिव शंकर सी

पवित्र

निष्ठावान और

भोली।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract