ज़ख्मों के कारीगरों से ये साखी, ख़ूब ही पढ़ा-लिखा हो रहा है। ज़ख्मों के कारीगरों से ये साखी, ख़ूब ही पढ़ा-लिखा हो रहा है।
सबने हमें अपना बनकर ही लूटा, किसी ने न दिया निःस्वार्थ खूंटा सबने हमें अपना बनकर ही लूटा, किसी ने न दिया निःस्वार्थ खूंटा
मांग कर रब से दुआ तू देख दिल से के बदल तक़दीर जाती है दुआ से मांग कर रब से दुआ तू देख दिल से के बदल तक़दीर जाती है दुआ से