मेरा ग़म
मेरा ग़म
आखिर क्यों बार बार दिल उदास होता है,
फ़िक्र नहीं उसी की याद में दिल रोता है..
दर्द इतना है ग़म ए आरज़ूओं का,
कोई दरिया बह जाए आंसुओं का..
हर सुबह एक रोज नया दौर ए मुकाम लाती है,
कल हारी शाम जिंदगी फिर सुबह जीत जाती है..
हिम्मत और हिमाकत जो नहीं करता है,
वो कभी दौर ए मुकाम नहीं होता है...
टूट जाता है दिल ज़ब उम्मीद नहीं रहती,
बस यूँ ही फिर जिंदगी ख़ुश नहीं रहती..
हार गया दिल उम्मीद ए वफ़ा करके,
वो नहीं समझें प्यार जफ़ा करके..
टूट जाए वो कड़ी जो दिल जोड़ती है,
बहुत दर्द होता दिल में और जिंदगी जीती है..