मैं भी तनहा सा हूँ
मैं भी तनहा सा हूँ
एक चाँद ने दूसरे चाँद से क्या कहा
मैं भी छुपा-छुपा सा हूँ तू भी धुंधला धुंधला सा है।
मत दे आवाज़ मेरी आवारगी को अब
मैं भी बदला -२ सा हूँ तू भी मचला -२ सा है।
छोड़ भी दो ज़िद, तोड़ दो नाता आदतों से
मैं भी बहला -२ सा हूँ तू भी पहला -२ सा है।
कल रात सुना चाँद सूरज के आगोश में था
अब मैं भी खोया -२ सा हूँ, तू भी सोया - २ सा है।
मत बैठों मेरे सामने फिर निगाह चार करके
मैं भी तनहा -२ सा हूँ, तू भी महफ़िल से थका -२ सा है।
