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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Romance Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Romance Tragedy

मेरा ग़म

मेरा ग़म

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काश! एक ऐसा मेला खेल होता,

बिछड़ो से अपनों का मेल होता..

मेरा दिल जिसको रोता है,

वो मेरा नहीं होता है...

ज़िन्दगी में कभी किसी को धोखा न दो,

ज़रूरत पड़े तो जान ले लो मगर धोखा न दो..

वो आशिक़ दीवाने अपना घर जलाते हैं,

जो मोहब्बत को अपनी जिंदगी बनाते हैं..

मत खेल इतना घिनौना किसी के जज्बात से,

कि सच्ची मोहब्बत निकल जाए फिर हाथ से..



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