धोखा
धोखा
वह रोई, उस दिन वह बहुत रोई
जब उसे रास्ता नहीं मिला।
उसे अपने आलिंगन में लेने वाला कोई नहीं था।
फिर भी उसने कोशिश की, उसने आँसुओं को
बहने न देने की सचमुच बहुत कोशिश की।
लेकिन उसकी भरी हुई भावनाएं उसके दिल पर बोझ नहीं बनने दे सकीं।
इसलिए जब वह लेटी थी तो वे बहते आँसुओं के रूप में बाहर आ गए।
जब वह फिर से लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाई तो वह वहीं रुक गई।
और जो कुछ बचा था वह उस दिन का अकेलापन था।
वह अपना गहरा दर्द चुपचाप अकेले सहती रही।
जब उसे कहने के लिए कोई शब्द नहीं मिलता।
जब उसके आँसू सूख गए तो उसने खुद से पूछा कि क्यों।
लेकिन उसे इसका जवाब न मिला कि लोग धोखा क्यों देते हैं।

