शिकायतें
शिकायतें
शिकायतें तो बहुत थी उन से पर अब तो उम्मीद ही हटा दी।
क्योंकि उम्मीदें थी जिनसे उसने भी अपनी औकात है दिखा दी।।
अब कैसा शिकवा करें हम उनसे, अब तो ना वो हमारे ना हम उनके।
फिर भी खुश हूँ तेरे और इस फैसले से ओ खुदा,
क्यूंकि तेरे हर फैसले में है हमारी ही भलाई।
अब तो ना रहा किसी अपने पर भी यकीन ,
क्यूंकि अपनों ने ही सबसे ज्यादा चोटें है लगाई।
