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Pankaj Prabhat

Drama Inspirational Others

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Pankaj Prabhat

Drama Inspirational Others

भागते भूत की लंगोट ही सही

भागते भूत की लंगोट ही सही

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समझौता, आज-कल जीवन आधार ही सही,

आभाव, समन्वय का व्यवहार कह रहे सभी,

जीवन का एक ही मूल मंत्र, अब कहीं न कहीं,

सब जप रहे, भागते भूत की लंगोट ही सही।


कभी कुछ किसी के, हाँथ आया तो मुह न लगा, 

किसी को खुद, पाँचो उँगलियाँ घी में डूबा मिला,

अन्धे के हाथ बटेर लगने पर भी, रह गया दुखी,

नाकों चने चबा कर भी, कोई खुश ही है कहीं,

जीवन का एक ही मूल मंत्र, अब कहीं न कहीं,

सब जप रहे, भागते भूत की लंगोट ही सही।


आधा तीतर आधा बटेर बन, मियां मिट्ठू  हो रहे,

अपनी खिचड़ी अलग पका, अपना राग अलाप रहे

अधजल गगरी छलकाते हुए, आठ-आठ आँसू रो रहे,

अपना उल्लू सीधा करने, अँगूठा दिखा रहे सभी,

जीवन का एक ही मूल मंत्र, अब कहीं न कहीं,

सब जप रहे, भागते भूत की लंगोट ही सही।


लालच में मारे गए, न माया मिली न राम मिले,

आँखों का पानी ढला,, अक्ल पर पत्थर पड़े,

उल्टी माला फेर कर, उल्टी गंगा बहाते रहे,

कभी कोल्हू का बैल हुए, काठ का उल्लू हुए कभी,

जीवन का एक ही मूल मंत्र, अब कहीं न कहीं,

सब जप रहे, भागते भूत की लंगोट ही सही।


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