STORYMIRROR

Goldi Mishra

Drama Romance Others

4  

Goldi Mishra

Drama Romance Others

बिखरा सिंदूर

बिखरा सिंदूर

1 min
180


अचानक एक चिट्ठी उनके शहर से आई,

चिट्ठी पड़ते ही एक मायूसी सारी हवेली में थी छाई।

मेरे कमरे में कागज़ बेतहाशा बिखरे थे,

उस दिन मैंने मौसम में लाखों बदलाव देखे थे,

मुझे खींच कर नीचे आंगन में लाया गया,

उस चिट्ठी को मेरे हाथों में थमा दिया गया।


अचानक एक चिट्ठी उनके शहर से आई,

चिट्ठी पड़ते ही एक मायूसी सारी हवेली में थी छाई।

चिट्ठी में एक काला सच लिखा था,

मेरी खुशियों का बाग मेरा सिंदूर उजड़ गया था,

ऐसा लगा किसी ने तेज़ी से धक्का दे दिया,

पल भर को तो लगा मेरा जिस्म राख हो गया।

अचानक एक चिट्ठी उनके शहर से आई,

चिट्ठी पड़ते ही एक मायूसी सारी हवेली में थी छाई।


सिंदूर पोंछ दिया गया हर साज श्रृंगार को

मुझसे दूर कर दिया गया,

तन्हा सुनसान राह पर ज़िंदगी ने मुझे ला खड़ा कर दिया,

किस कांधे सर रख कर अब मैं दर्द को बाटूंगी,

इस बिछड़न में अब कैसे जीयूँगी।

अचानक एक चिट्ठी उनके शहर से आई,

चिट्ठी पड़ते ही एक मायूसी सारी हवेली में थी छाई।

तुम्हारी निशानियां तो मुझे दूर कर दी

पर तुम्हारी छुअन मेरे तन पर बाकी है,

तुम्हारा एहसास तुम्हारी हर याद मेरी रूह में बाकी है,

क्यूं ईश्वर ने जिंदगी को ऐसा रचा,

क्यूं तेरा मेरा साथ उम्र भर का ना था।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama