सही राह
सही राह
जब राह गलत चुन लोगे तो
मंजिल को पा सकोगे क्या ?
आंखें जो सही ना देख सके
फिर लक्ष्य भेद सकोगे क्या ?
जब बोले गए हर शब्द के साथ
दीवारें भी तोलमोल करें,
ऐसे जर्जर दीवारों से बने
घर में रहोगे क्या ?
यहां दर्द दिलों में बसते हैं,
सुकून कहीं ना दिखता है,
तुम अपनी कलम से कागज पर
किसी का दर्द लिखोगे क्या ?
अपनों के लिए तो यहां
हर कोई जीता है,
गैरों की खुशियों के लिए कभी
खुदा की इबादत करोगे क्या ?
इस दुनिया के गुलशन में लोग
आते जाते रहते हैं,
अपने महक बिखेर जाओ
तुम ऐसा फुल बनोगे क्या ?