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Darshana Hitesh jariwala

Abstract Drama Others

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Darshana Hitesh jariwala

Abstract Drama Others

ज़िन्दगी का पैगाम

ज़िन्दगी का पैगाम

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शिकायत कुछ भी नहीं तुझसे ऐ जिंदगी

तू चंद सांसे बस उधार दे दे।।


मन्नतों में मांगूँ या दुआओं में पढ़ लूं तुझे

बेचैन मन को तू सुकून दे दे।।


मर कर तुझ पर फिर से जीने लगी हूं जैसे !?

मेरे हाथों में तेरी लकीरे दे दे।।


कुछ अधूरी अनकही बातें जो दिल में है तेरे

होठों से बोल कोई नाम दे दे।।


ना जाने कैसे जुड़ गया रिश्ता ये तेरा मेरा

हो सके सवालों के जवाब दे दे।।


बढ़ी वक्त की रफ्तार उम्र यूं ही बीती जा रही है 

इंतजार को अब अपनी रफ्तार दे दे।।


कुछ भी नहीं चाहिए मुझे तुझसे ए जिंदगी

नजरों में बसाकर तू थोड़ा सा मान दे दे।।


ना जाने फिर ये वक्त मिले ना मिले हमें

निगाहों को तेरा आखिरी दीदार दे दे।।


ना तुम बूरे, ना हम बूरे तो यह गलतफहमी क्यों?

हाथ बढ़ा कर तू ज़िन्दगी का पैगाम दे दे।।



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