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Sapna K S

Drama Romance

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Sapna K S

Drama Romance

कभी .. कभी...

कभी .. कभी...

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कभी- कभी मेरे दिल में खयाल आता है.....


एक वो नज्म थी जो तुमने कानों में मेरे गुनगुनायी थी,

मैं तुम्हें निशब्द स्वरों में सुनता रहा,

टूट जाते हुए तुम्हारे अल्फाजों को,

तुम खुद ही सँवार ले रहे थे उन्हें,

खुद ही गुनगुनाते रहें मंद हवा की तरह,

मैं बस सिमटना चाहता था तुममें,

उन अल्फाजों की झंकार की तरह,

तुम्हारे कंठ से लेकर जिस्म में बहते हुए,

गर्म साँसों में बस धुंध बनकर रह जाना चाहता था,

वो छंद आज भी रूह में मेरे एहसास जगाती है...

कभी- कभी मेरे दिल में खयाल आता है....


आज भी कहीं सुनता हूँ बस शुक्र अदा कर देता हूँ उनका,

वो लफ्ज उस वक्त मुझे बड़े अजीब से लग रहे थे,

जब तुम उन्हें गुनगुना रहे थे,

लग रहा था जैसे तुम कोई वक्त के करीब रूका रहे हो मुझे,

हाँ... सही तो था,

तुम अब कहाँ रहे...कहाँ अब मिलने की फुरसत है तुम्हें,

शायद अब याद भी नहीं रहीं होगी तुम्हें के कभी,

गुनगुनायी थी ये नज्म सिर्फ मेरे लिए,

मैं फिर भी खुद को तड़पाने के लिए,

अपने फोन के साज पर तुम्हें महसूस कर लेता हूँ के,

कभी -कभी मेरे दिल में खयाल आता है......


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