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Bhawna Kukreti Pandey

Abstract Drama Others

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Bhawna Kukreti Pandey

Abstract Drama Others

भावुक मन

भावुक मन

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खोये से इंसान 

जब आसमाँ ताकते है

मेरा यह भावुक मन 

घबरा जाता है।


मुझे दिखती हैं

गहरी निःस्वास उठती हुई

जैसे धुआं उठता हो

मन से।


मैं भर जाती हूँ

उन सबकी तृष्णा से

जो सदियों से अतृप्त है

आत्मा में।


मेरे अंदर 

गूंजने लगता है दर्द 

लोगों की टूटी उम्मीदों का

बे तरह।


मैं मीच लेती हूँ

कस कर आंखें अपनी

प्रार्थना में सबके लिए

उम्मीद में।


मैं चाहती हूँ 

आसमान से उतरे इंद्रधनुष

सबके आंगन में

हंसता हुआ।


वे सब देखें

आसमान को कृतज्ञता में

अपने अन्तस् में भरें आकाश

सपनो का।



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