इंसान फिर किधर जाएगा।।
इंसान फिर किधर जाएगा।।


वक्त मुश्किल भरा है
हर बुरे वक्त की तरह,
यह वक्त भी गुजर जाएगा।
मंजिल बहुत दूर है, अनजाने हैं रास्ते
हर तरफ है हाहाकार ,
यह व्याकुल मन भला किधर जाएगा ?
यहां जिंदगी ही नहीं,
मौत के भी सौदे होते हैं,
वहशियों के बीच कोई लेकर,
अपना ईमान किधर जाएगा ?
दोषारोपण करके या कमियां निकाल के ,
जिम्मेदारियों से पीछे जो भाग रहे,
उन सबके बीच बदलाव की कोशिश करने वाला
इंसान फिर किधर जाएगा ?