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Yuvraj Gupta

Drama Romance

3  

Yuvraj Gupta

Drama Romance

बस... यही कहना था !

बस... यही कहना था !

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तेरी आँखों की शरारत है 

जिसने मुझे खुराफाती बनाया है 

तुझे पाने की चाहत है 

इस चाहत ने ही मुझे जगाया है 


क्या होती है हलचल 

धड़कनों की बेचैनी क्या होती है 

क्या होता है साँसों का मचलना 

तेरी कमी ने ये एहसास कराया है 


एक सुबह थी बाहर 

मैं अपनी ही शाम में खोया रहा 

ख़्वाब होते हैं हकीक़त भी 

इस बात से अनजान मैं सोया ही रहा 


तेरी ज़ुल्फों की हरारत है 

जिसने रुबरू जिंदगी से कराया है 

तुझे पाने की चाहत है 

इस चाहत ने ही मुझे जगाया है 


चल आज कबूल है मुझे 

कि तेरे बिन मैं खुद को बेवजह लगता हूँ 

पहले था तनहा पर 

आज मैं खुद को मजबूर लगता हूँ 


शायद, तेरे लिए था वो एक पल मात्र 

मगर, मैंने अपने वजूद का

एक हिस्सा उस पल में गँवाया है 

तू बेशक पूरी है मेरे बिना भी 

मगर, अधूरा हूँ तुझ बिन

ये मुझे मेरी लकीरों ने दिखाया है



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