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Yuvraj Gupta

Drama Romance

3.7  

Yuvraj Gupta

Drama Romance

बस... यही कहना था !

बस... यही कहना था !

1 min
549


तेरी आँखों की शरारत है 

जिसने मुझे खुराफाती बनाया है 

तुझे पाने की चाहत है 

इस चाहत ने ही मुझे जगाया है 


क्या होती है हलचल 

धड़कनों की बेचैनी क्या होती है 

क्या होता है साँसों का मचलना 

तेरी कमी ने ये एहसास कराया है 


एक सुबह थी बाहर 

मैं अपनी ही शाम में खोया रहा 

ख़्वाब होते हैं हकीक़त भी 

इस बात से अनजान मैं सोया ही रहा 


तेरी ज़ुल्फों की हरारत है 

जिसने रुबरू जिंदगी से कराया है 

तुझे पाने की चाहत है 

इस चाहत ने ही मुझे जगाया है 


चल आज कबूल है मुझे 

कि तेरे बिन मैं खुद को बेवजह लगता हूँ 

पहले था तनहा पर 

आज मैं खुद को मजबूर लगता हूँ 


शायद, तेरे लिए था वो एक पल मात्र 

मगर, मैंने अपने वजूद का

एक हिस्सा उस पल में गँवाया है 

तू बेशक पूरी है मेरे बिना भी 

मगर, अधूरा हूँ तुझ बिन

ये मुझे मेरी लकीरों ने दिखाया है



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