STORYMIRROR

Yuvraj Gupta

Drama Romance Tragedy

4  

Yuvraj Gupta

Drama Romance Tragedy

हसरत...

हसरत...

2 mins
341

कुछ इस कदर है मुझे हसरत तुझे पाने की

जैसे तारों को हो चाहत रात सजाने की

मैं ढल जाता हूं हर शाम कतरा कतरा

काश तुझे कभी हो हासिल फुर्सत मेरे पास आने की

कुछ इस कदर है मुझे हसरत तुझे पाने की


मैं सागर था शांत मेरी बेचैन लहर तुम थीं

भीड़ में भी पाता हूं तन्हा खुद को हर घड़ी 

कब तक लेता रहूं सांसें दिल में बिना धड़कन के 

ना जाने कब लगेगी अर्जी खुदा को मेरे सजदों की


तू ख़्वाब अधूरा मगर सुंदर बहुत है

तू दर्द है सीने में... ये राहत बहुत है

ना कोई दुआ... और ना ही कोई हकीम चाहिए

क्यूंकि अब तो आदत सी है मुझको ऐसे जीने की


मेरी किस्मत कोयले में छुपा सोना है

मेरी तड़प चोट है पत्थर पर कुदाल की

मेरा इंतजार परिश्रम है श्रमिक का

कभी तो होगी हासिल चमक तेरे नूर की

कुछ इस कदर है मुझे हसरत तुझे पाने की


ऐसा क्यों है कि हर दिल किसी का मोहताज है

ये किस्सा सिर्फ मेरा नहीं कहानी है जमाने की

जिस पर निकले दम क्यूं वही इतना खास है 

जबकि अंतिम सफर में जगह है सिर्फ एक सवारी की 


क्या होता है किसी भी उम्मीद का जिंदा होना 

जब मरना ही एक मात्र सच्ची कहानी है

क्यूं उलझने देता है दिमाग खुद को दिल के छलावे में

ये जानते हुए कि आखिरी गुत्थी भी इसे ही सुलझानी है


ज़िंदगी को दरकार है सांसों की 

दरियाओं को दरकार है बारिश की

मैं बहा दूं अपनी जिंदगी दरिया में

गर ये भी कीमत हो तुझे पाने की 

कुछ इस कदर है मुझे हसरत तुझे पाने की 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama