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Sachin Singh

Drama Classics Inspirational

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Sachin Singh

Drama Classics Inspirational

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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जो कभी सूरज सी चमकती है

 तो कभी चाँद सी खिलती भी है 

जो कभी फूलों सी महकती है 

तो कभी कांटो सी चुभती भी है 


इस प्रकृति सी है ज़िन्दगी

 जो कभी धूप सी कडकती है 

तो कभी छाँव सी दहकती भी है 

जो कभी बारिश सी बरसती है 


तो कभी बादल सी गरजती भी है 

इन मौसमों सी है ज़िन्दगी

जो कभी आग सी जलाती है 

तो कभी पानी सी बुझाती भी है 


जो कभी दिन सी रोशन होती है 

तो कभी रात सी अँधेरी भी होती है

इन बदलावों सी है ज़िन्दगी 

जहाँ दुखों का सैलाब है 


वहां सुखों का समंदर भी है 

जहाँ दर्दो का शोर है 

वहांँ खुशिओँ की आहट भी है 

इस दुनिया सी है ज़िन्दगी


जिसमे बहुत लोगों का गम है 

पर मेरा सबसे कम है 

जिसमे कुछ ज़मीन बंजर है 

पर मेरा जमीन पर फसल अभी भी हरी है 


उस गावँ सी है ज़िन्दगी

आज और कल तो वक़्त के पहरे है 

किस्मत ही तो है बदलती जरूर है


चार दिन की चांदनी

फिर अँधेरी रात आनी ही है 

जीओ ज़िन्दगी खुल कर

चार दिन में बीत जानी ही तो है।


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