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Sachin Singh

Romance Classics Fantasy

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Sachin Singh

Romance Classics Fantasy

आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख

आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख

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❛आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया

मैने दिये को आंधी की मर्जी पे रख दिया,


आओ तुम्हे दिखाते है अंजामे-जिंदगी

सिक्का ये कह के रेल की पटरी पे रख दिया,


फिर भी न दूर हो सकी आँखों से बेवगी

मेहँदी ने सारा खून हथेली पे रख दिया,


दुनियां क्या खबर इसे कहते है शायरी

मैने शक्कर के दाने को चींटी पे रख दिया,


अंदर की टूट-फुट छिपाने के वास्ते

जलते हुये चराग को खिड़की पे रख दिया,


घर की जरूरतों के लिए अपनी उम्र को

बच्चे ने कारखाने की चिमनी पर रख दिया,


पिछला निशान जलने का मौजूद था तो फिर

क्यों हमने हाथ जलते अंगीठी पे रख दिया।❜


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