पिछला निशान जलने का मौजूद था तो फिर क्यों हमने हाथ जलते अंगीठी पे रख दिया।❜ पिछला निशान जलने का मौजूद था तो फिर क्यों हमने हाथ जलते अंगीठी पे रख दिया।❜
यादों में अब भी वो अंगीठी जलती हैं जो चाँद को तकते हुए कभी ओस से नहाती थी ,दिल हमसफर का हाथ थामे आज... यादों में अब भी वो अंगीठी जलती हैं जो चाँद को तकते हुए कभी ओस से नहाती थी ,दिल ...
हाथों को गर्मी, आंखों को नमी, और चेहरे को नारंगी ताज़गी का आभास। हाथों को गर्मी, आंखों को नमी, और चेहरे को नारंगी ताज़गी का आभास।
तुम्हें देख मैं घबराया, पर पहले दिल को समझाया, पूछा अपने मन में ये कौन इतनी रात को आया तुम्हें देख मैं घबराया, पर पहले दिल को समझाया, पूछा अपने मन में ये कौन इतनी र...