जानकर शौक पाला मैंने लिखने का
जानकर शौक पाला मैंने लिखने का
जानकर कि शौक है पाला मैंने लिखने का,
वो अपनी खूबसूरती पर
कुछ लिखवाने की जिद पकड़ बैठे।
मैंने कहा:
“आँखें जैसी नैनीताल की झील,
कमर जैसे पहाड़ी संकरे रास्ते,
जुल्फें जैसे फूलों की घाटी की खुसबूदार हवाएँ।”
बस बस बहुत हुआ उत्तराखंड दर्शन कहकर
वो अब रूठकर बैठीं हैं।
कोई रूठने की वजह पूछता है
तो बताता हूँ।
” कुछ यूँ बयाँ की ख़ूबसूरती अपने महबूब की,
कि उसे मैंने पहाड़ और पहाड़ को
अपना महबूब कर दिया।“

