माँ तेरा आंचल
माँ तेरा आंचल
माँ जब जब तेरा आंचल लहराए
ठंडक छाया हमेशा मिलती जाए
रो रो कर जब आंसू गिराऊ
तेरा आँचल झट से पोंछने आ आ जाए
जरूरत जब हो चवन्नी की झट से आंचल तेरा खुल जाए
मां तेरा आंचल जादू का पिटारा जिसमें सब कुछ समा जाए।
सर्दी खांसी बुखार हो जब आंचल ही तेरा काम आए
नींद जब जब आए मुझको आंचल ही बस मन भाए।
जब भी कोई सताए मुझको छुपा देती है आंचल में मुझको
तेरा आंचल है प्यारा मुझको लगता सबसे प्यारा
इसके जैसा नहीं कोई यारा
धूप गर्मी या हो बरसात झट से आंचल सर पर तन जाए
पापा जब भी डाटे फटकारे आंचल में ही तू मुझ को छुपाए
तेरी साड़ी पहनकर जब आंचल को लहराऊँ मैं सब देख देख मुझको चिढ़ाए।
शर्म से मैं फिर आँचल में ही चेहरा छिपाऊँ
जब भी किसी की शिकायत करो तो
आँचल को कमर में खोंस कर तनी तनी सी चली जाए।
संतोष मिलता मन को अब कोई नहीं है जो मुझको सताए।
माँ तेरा आँचल है चारों धाम इसी में हम रम जाए।
कुछ भी चाहूँ कुछ भी सोचूं पता नहीं कैसे तू समझ जाए।
तेरा आंचल आंचल नहीं जादू का पिटारा है
हर मर्ज की दवा है इसमें यही मुझको समझ में आए
ऐसे ही तुम साथ रहना माँ तुम बिन
कोई नहीं है ।