मुस्कान है अठन्नी सी मुस्कान है अठन्नी सी
जो बचा रहेगा जो बचा रहेगा
चवन्नी पा कर हम इतराते, ताल-तलैया खूब नहाते। चवन्नी पा कर हम इतराते, ताल-तलैया खूब नहाते।
वो लकीर जिसे दुःख कहते हैं, माँ ने बचपन में ही मिटा दी मेरी! वो लकीर जिसे दुःख कहते हैं, माँ ने बचपन में ही मिटा दी मेरी!
धूप गर्मी या हो बरसात झट से आंचल सर पर तन जाए धूप गर्मी या हो बरसात झट से आंचल सर पर तन जाए