"गांव"
"गांव"
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कितना सुन्दर गांव हमारा,
सुन्दर-सुन्दर प्यारा-प्यारा।
खुली आंखों से सपने बुनते,
अल्हड़पन से मस्त झूमते।
भोजन सब थाली में खाते,
खाने के पहले भोग लगाते।
ढेर सारे मिलते थे खिलौने,
फल खाते थे नोने-नोने।
चवन्नी पा कर हम इतराते,
ताल-तलैया खूब नहाते।
शुद्ध पवन निर्मल जल बहता,
गांव में बहुत सुकून है मिलता।।