ज़िंदगी
ज़िंदगी
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कुछ चवन्नी अठन्नी सी मुस्कुराहटें लिए
वो दिल बहलाता है कई खजाने लिए
एक गम हो तो वो सहम जाए
गुनगुनाता है वो कई तराने लिए
बात कैसी भी हो ऐसी तो नहीं होती है
खुश सभी को रखे ऐसी बोली नहीं होती है
अकेला भी है घूमता किसी की तलाश में
महफ़िलों में भी अब वो हंसी टटोली नहीं होती है
कुछ नमकीन कुछ कडुई समस्याएँ लिए
वो मुस्कुराता है कई फ़साने लिए
एक दिन हो तो वो मर जाए भी
जीता है वो हर गम उठाने के लिए
कुछ चवन्नी अठन्नी सी मुस्कुराहटें लिए
वो दिल बहलाता है कई खजाने लिए