शिक्षा- एम् .टेक ( गोल्ड मेडलिस्ट) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी,कुरुक्षेत्र, हरियाणा हिंदी साहित्य में "गुमशुदा" के नाम से कविता /ग़ज़ल/ नज़्म /गीत/लेख/ कहानी लिखता हूँ
इक दुबला पतला सा पेड़ था, चंद टहनियां चंद पत्ते थे। इक दुबला पतला सा पेड़ था, चंद टहनियां चंद पत्ते थे।
मैं तुम्हारे अंदर छुपा हुआ जुनून हूं मैं तुम्हारे अंदर चमकता हुआ नूर हूं मैं तुम्हारे अंदर छुपा हुआ जुनून हूं मैं तुम्हारे अंदर चमकता हुआ नूर हूं
कभी इधर कभी उधर जिन्दगी----- कभी इधर कभी उधर जिन्दगी-----
सुनो, उसकी अपनी लाचारी है सुनो, उसकी अपनी लाचारी है
देश प्रेम की किरणें फैली सूरज चमके लाली सा देश प्रेम की किरणें फैली सूरज चमके लाली सा
घर में बैठें लोगों की दुआयें आने लगी हैं घर में बैठें लोगों की दुआयें आने लगी हैं
न जाने किस रूतबे में तू फिर एक नीच है हरकत कर बैठा न जाने किस रूतबे में तू फिर एक नीच है हरकत कर बैठा
ऐसे मोहब्बत के आशिक के हम सताए हुए हैं। ऐसे मोहब्बत के आशिक के हम सताए हुए हैं।
रात चाहे काली कितनी हो रात चाहे काली कितनी हो
सत्य की जीत पर असत्य नाचने लगा छोड़ लाज जग की कर्तव्य निभाने लगा सत्य की जीत पर असत्य नाचने लगा छोड़ लाज जग की कर्तव्य निभाने लगा