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Alok Singh

Others

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Alok Singh

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उभरते जज्बात

उभरते जज्बात

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बहुत परेशान हैरान 

घूमता

कभी इधर कभी उधर 

जिन्दगी-----

समझती रही गुमशुदा 

जरा सुधर जरा सुधर 

हालात -----

वो था हां था 

अभी इधर अभी इधर 

अरे आप यूं चल दिये 

किधर- किधर ?



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