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Alok Singh

Tragedy

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Alok Singh

Tragedy

सॉरी हाथी मेरे साथी

सॉरी हाथी मेरे साथी

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दो बोल तुम्हारे कडुवे थे

पर फिर भी हम मुस्काते थे

रोटी के एक टुकड़े की ख़ातिर

कितने डंडे खाते थे

एक विश्वास ही था जो फिर टूट गया

तू फिर से जाहिल बन बैठा

न जाने किस रूतबे में तू

फिर एक नीच है हरकत कर बैठा


मैं इस दुनिया सी चली गयी

ले अजन्मी सी नन्ही परी

कितने सवाल ले अंत: मन में

ये दुनिया तेरी छोड़ चली

कल फिर से सूरज निकलेगा

कल फिर से कत्ल कहीं होगा

मैं न सही तुम न सही

पर अपने जैसा कोई होगा


तुम मूक बने रहना बस साथी

थोड़ा थोड़ा जीते रहना

कुछ हिजड़ों के आगे तुम भी

अपनी गर्दन नीचे रखना

अब उम्मीद नहीं तुमसे कोई है

ये दुनिया मैनें भी खोई है

मरे हुये तुम लोग हो कब के

आत्मा तुम्हारी भी सोयी है 



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