बहुत हो तुम धनवान
बहुत हो तुम धनवान
बहुत हो तुम धनवान एक हद तक कर दिया है सब न्योछावर
हां तुम हो बहुत धनवान....
इस दिल के तलब गार हो तुम हमेशा मुझे खोज लाते हो कर देते हो मुझे सराबोर।
है अंदाज तुम्हारा हर बात में अलग रूह तक रंग देते हो।
हाँ तुम हो बहुत धनवान....
भरा हुआ है तुम्हारे पास यश का खजाना करते हो हर बार कटाक्ष तुम,
क्यों करते हो छलनी छलनी मेरा दिल सुनाई नहीं देता क्या दर्द भरी टीस
जख्म सूखने लगते हैं तब तक जब तक
जख्म हो जाते हैं फिर से हरे तब तक
मुस्कुराहट से कर देते हो फिर से सराबोर मुझे
हाँ तुम हो बहुत धनवान ....
जीत की खुशी छलकती रहती है चेहरे पर और ठगी सी देखती रह जाती हूँ मैं
चेहरे पर वो खास नूर को दिल में जज़्ब करती रहती हूँ मैं
फिर से सराबोर होने के लिए फिर से चाँद तारों की दुनिया में जाने के लिए
जहाँ सिर्फ समर्पित होती रहती हूँ मैं
हाँ तुम हो बहुत धनवान ....
मगर अब मैंने भी खोज लिया है वह खास चीज जो मुझे तुमसे भी धनवान बना देती है
शांत मुस्कुराता मौन और बिंदास होकर जीवन जीने का जतन
हाँ अब मैं हो गई हूँ तुम से भी धनवान बहुत धनवान ।।
