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Sandhaya Choudhury

Drama Tragedy Classics

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Sandhaya Choudhury

Drama Tragedy Classics

फर्क नहीं पड़ता मुझको

फर्क नहीं पड़ता मुझको

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तू आए या ना आए फर्क नहीं पड़ता मुझको

अब तेरी आदत नहीं है मुझको

 ऐसा बदली हूं मैं तेरी बेरुखी से 

 

झूठ नहीं बोलूं तो कुछ होता नहीं मुझको

अमानत में खयानत की है तूने 

तू किसी और का हो जाए फर्क नहीं पड़ेगा मुझको 

तूने पत्थर की तरह ढाल लिया है खुद को 


पत्थर की तरह ढलना यह हुनर भी सिखा दे मुझको 

अक्सर पुरानी बातें याद करती हूं कभी भूल भी जाती हूं

इतना उलझ गई हूं खुद से 

अब खुद पत्थर सी ढल गई हूं मैं 

अब लगता है मुझको तेरी परछाई बन गई हूं मैं।


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