अलग अलग दुनिया...
अलग अलग दुनिया...
कड़कती सर्दियों के मौसम में आसपास खड़े ये निश्चल पेड़...
आँगन में आने को बेताब गली में घूमते काले सफेद कुत्ते...
घरों में घुसने की जुगत में चीं चीं करते चूहे...
हमेशा की तरह शरीर को कंपकंपाने वाली यह जानलेवा सर्दी...
इस बाहरी दुनिया से मुख़तलिफ़ घरों के अंदर की एक और दुनिया भी है...
जहाँ चमचमाते ड्रॉइंग रूम में हीटर या ब्लोअर ऑन कर लोग बैठते है...
ये लोग बड़ी स्क्रीन और सराउंड साउंड में टीवी की बहस देख ख़बरों की जुगाली करते है....
इन लोगों का अवाम से सीधा सा सवाल है...
इस रंगीन दुनिया में बेरोजगारी और मज़दूरों के पलायन वाली स्याह ख़बरें हम क्यों देखें?
प
ैसा है और बैंडविथ भी है फिर क्यों न हम नेटफ्लिक्स और हॉट स्टार देखें?
हमारी इस रंगीन दुनिया में लॉक डाउन वाले मज़दूरों के पलायन और बेरोज़गारी की ख़बरों का क्या काम?
वे कभी चैनल बदलते है और कभी नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार की वेब सीरीज में खोने लगते है ....
हर बार नया साल वे पहाड़ों पर या विदेश में ही मनाते है....
इस स्याह सफ़ेद और रंगीन दुनिया को देख कर मेरा मन न जाने क्यों उदास हो जाता है....
तभी बिटिया की जोर से पढ़ने की आवाज़ आती है 'इंडिया इज ए डाइवर्स कंट्री....'
मेरे मन का गिल्ट निकल जाता है...
मैं भी नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार की वेब सीरीज में खोने लगता हूँ.....