रिश्तों की बुनियाद
रिश्तों की बुनियाद
रिश्तों की बुनियाद जब होती है मजबूत
कोई भी शक्ति होती नहीं फलीभूत
रिश्तों में होती नहीं अहं की दीवारें
बस होती है प्यार और समर्पण की दीवारें
होता नहीं है कोई विषय पर पर्दा
खुलकर कहने की होती है आजादी
रिश्तों को संभालने में कभी-कभी झुको मर्जी से
फिर देखो सब देखेंगे तुम्हें बस प्यार और प्यार से
रिश्तों की डोर होती है बहुत नाजुक
थोड़ी सी नुक्स जो आए टूट जाती है यह डोर
रिश्तों में जो गांठ आए उससे पहले रिश्तों को संभालो
वरना छिन्न-भिन्न हो जाता है कुछ अपने तो कुछ पराए
रिश्तों की आड़ में कुछ होते हैं स्वार्थी
मतलब के लिए बस हो जाते हैं स्वार्थी
लेकिन दुख में पता चलता है इन मुखौटों का
तब ध्यान आता है मतलबी और स्वार्थियों का
इसलिए सावधान रहना इन स्वार्थियों से
जो पल में तोला पल में माशा करते हैं रिश्तों में।
रिश्तों की बुनियाद बनाओ तुम सच्ची
हर दुख में साथ देंगे यह रिश्तों की टोली।।