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Indraj Aamath

Drama Romance

4  

Indraj Aamath

Drama Romance

कुछ प्रेम अधूरे रह जाते है ।

कुछ प्रेम अधूरे रह जाते है ।

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यूं सींच सींचकर वृक्ष किया

बेमौसम में भी यों साथ दिया,

बादल की काली घटाओ में भी

कुछ प्रेम अधूरे रह जाते है ।


उसने सब कुछ बलिदान किया

मन त्याग दिया तन त्याग दिया ,

पतझड़ के बिखरे पत्तों में भी

कुछ प्रेम अधूरे रह जाते है।


हर राह में खड़े वो प्रण लिए

संग साथ जीये संग साथ मरे,

नयनों के बहते सागर में भी

कुछ प्रेम अधूरे रह जाते है ।


यादों की बारिश में भीगा होगा

वर्षों से भी इंतजार किया होगा,

उपवन में लिपटी लताओं में भी

कुछ प्रेम अधूरे रह जाते है ।


जब साथ छूटा मन टूटा होगा

रह रह के फिर रुदन फूटा होगा,

संग साथ जीने के वादों में भी

कुछ प्रेम अधूरे रह जाते है ।



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