मुड़ गयी!!! (Day 15,love)
मुड़ गयी!!! (Day 15,love)
हम साथ थे,
एक खुशनुमा एहसास सा था,
कब मिलें उस समय का करार सा था
मन प्रफुल्लित था तुम्हारे बोल सुनकर
प्यार के एहसास से ही तृप्त था मन
था यही काफ़ी, कोई तो है वहाँ पर
जो हमें शुभ भावना से याद करता है...
पर कहीं त्रुटि हो गई !
और राह थोड़ी मुड़ गई !
वह मधुरता खो गयी ये होड़ कैसे हो गयी ?
बाग़ी अहम टकरा गये
और चोट मन को लग गयी,
अब खुश नहीं तुम और ना मैं ही सुखी!
कोई वजह मिलती नहीं,
दुर्भावना दिखती नहीं
शायद मेरे अल्फाज़ दिल में
चुभ गये, मृदु भावनायें जल गयीं
जो प्यार का दम भर रही थीं
साथ जीने और मरने की कसम भी ले रही थीं
उम्र भर की?
ग़र, भरोसा आपको ख़ुद पर रहा होता,
नहीं अल्फाज़ इसको तोड़ सकते
प्रेम का रस सोख सकते
यूँ मुझे लगता, तुम्हारी भावना कमज़ोर थी
और था वहम, विश्वास की बेहद कमी थी
प्रीति टूटी...