जब झूठ सामने आता है तो सारी मुस्कान क्रोध की ज्वाला में बदल जाती है जब झूठ सामने आता है तो सारी मुस्कान क्रोध की ज्वाला में बदल जाती है
अब रिश्ता है हमारा चौदहवीं के चाँद जैसा, अब रिश्ता है हमारा चौदहवीं के चाँद जैसा,
इंसान भी कुछ सीखे इससे, ये सबका सच्चा मोल तोल रही है ! इंसान भी कुछ सीखे इससे, ये सबका सच्चा मोल तोल रही है !
रिश्तों में कटुता जीवन बिखराए, रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं। रिश्तों में कटुता जीवन बिखराए, रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
जिसका कोई अस्तित्व नहीं जिसका कोइ भविष्य नहीं। जिसका कोई अस्तित्व नहीं जिसका कोइ भविष्य नहीं।
मधुरता और मादकता दोनों ही समाहित होती है मधुरता और मादकता दोनों ही समाहित होती है