हमारे रिश्ते
हमारे रिश्ते
रिश्ते हर घर महकाएं,
मंदिर जैसा पवित्र बनाएं।
रिश्तों से हम संस्कार को पाएं,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
रिश्तों से हम जीवन बनाएं,
रिश्तों से हम प्यार को पाएं।
रिश्ते से परिवार बनाएं,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
रिश्तों में अपनापन दिखलाएं,
जीवन के हर फूल खिलाएं।
रिश्तों से हम शिक्षा पाएं,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
रिश्तों में जीवन दर्शन दिख जाए,
जो जीने का कारण बन जाएं।
रिश्ते हममें विश्वास जगाएं,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
रिश्तों में हम सच्चाई पाएं,
हम जीवन न्यौछावर कर जाएं।
रिश्ते तो भगवान बनाएं,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
रिश्ते जीवन में खुशियां ले आएं,
रिश्तों में जब हम बंध जाएं।
उनकी ख़ुशी में सब कुछ कर जाएं,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
मात पिता का रिश्ता हम पाएं,
रिश्ते भाई बहिन का दुलार दिखाएं।
जीवन संगिनी जीवन महकाएं,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
रिश्ते हमें त्याग सिखाएं,
जीवन में सच्चा मित्र हमें मिल जाए।
सुख दुःख में वह साथ निभाए,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
रिश्तों से हम समाज बनाएं,
रिश्तों में जीवन सर्वस्व लुटाएं।
रिश्ते सुख का आभास कराएं,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।
रिश्तों में हम मधुरता लाएं,
रिश्ते सुखी संसार बनाएं।
रिश्तों में कटुता जीवन बिखराए,
रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।