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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Drama

5.0  

लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Drama

हमारे रिश्ते

हमारे रिश्ते

1 min
267


रिश्ते हर घर महकाएं,

मंदिर जैसा पवित्र बनाएं।

रिश्तों से हम संस्कार को पाएं,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


रिश्तों से हम जीवन बनाएं,

रिश्तों से हम प्यार को पाएं।

रिश्ते से परिवार बनाएं,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


रिश्तों में अपनापन दिखलाएं,

जीवन के हर फूल खिलाएं।

रिश्तों से हम शिक्षा पाएं,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


रिश्तों में जीवन दर्शन दिख जाए,

जो जीने का कारण बन जाएं।

रिश्ते हममें विश्वास जगाएं,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


रिश्तों में हम सच्चाई पाएं,

हम जीवन न्यौछावर कर जाएं।

रिश्ते तो भगवान बनाएं,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


रिश्ते जीवन में खुशियां ले आएं,

रिश्तों में जब हम बंध जाएं।

उनकी ख़ुशी में सब कुछ कर जाएं,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


मात पिता का रिश्ता हम पाएं,

रिश्ते भाई बहिन का दुलार दिखाएं।

जीवन संगिनी जीवन महकाएं,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


रिश्ते हमें त्याग सिखाएं,

जीवन में सच्चा मित्र हमें मिल जाए।

सुख दुःख में वह साथ निभाए,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


रिश्तों से हम समाज बनाएं,

रिश्तों में जीवन सर्वस्व लुटाएं।

रिश्ते सुख का आभास कराएं,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


रिश्तों में हम मधुरता लाएं,

रिश्ते सुखी संसार बनाएं।

रिश्तों में कटुता जीवन बिखराए,

रिश्तों से हम ! मनुज कहलाएं।


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