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ख़रीदी

ख़रीदी

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आज वीराने दिल को

बागबान करने निकला हूँ,

दहकती धूप में

ठंडी छाँव ढूंढने निकला हूँ,

तरस रहा हूँ कि

कोई मुझे भी गले लगा ले

कुछ देर के लिए,

इसीलिए गुलाबी नोटों से

झूठा प्यार खरीदने निकला हूँ,...!



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