स्वेद
स्वेद
ललाट पर जो स्वेद है,
बना रहा भविष्य है,
डटे रहो सदा अटल,
राह पर जो सिद्ध है ।
प्रचंड हैं ये आँधियाँ,
प्रखर भी सूर्य तेज है,
विश्राम के लिये यहाँ,
कन्टकों की सेज है ।
परंतु हार ना निडर,
कठिन भले ही है डगर,
बढ़ा ले अपना आत्मबल,
और नाप ले तू हर शिखर ।
वश में तेरे बस काम है,
सफलता फल का नाम है,
स्वेद को ही मिला सदा,
विजयश्री का प्रणाम है ।