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चंद्रमा सा रिश्ता

चंद्रमा सा रिश्ता

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जब हम मिले थे,

हमारा रिश्ता था

दूज के चंद्रमा सा, नवेला।

नव दूल्हे सा शर्मिला ।।


ज्यूँ ज्यूँ बढ़ती गयी तिथियां,

बढ़ती गयी अठखेलियां।

शनैः शनैः बढ़ती गयी शोखियाँ।।


अब रिश्ता है हमारा

चौदहवीं के चाँद जैसा,

पूर्ण शबाब की ओर बढ़ता।

हसीन और भरपूर मधुरता ।।


मगर जानते हो,

इतने खूबसूरत चाँद में भी

एक दाग है छोटा सा।।।।


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