मुकर नहीं जाऊंगी...
मुकर नहीं जाऊंगी...
तेरी खातिर दुनिया से लड़ चुकी थी मैं -२
पर अब तुझसे ना लड़ पाऊंगी...
गया ना छोड़कर तो खुश रह वापिस मत आ-२
क्योंकि अब मैं खुद को संभाल नहीं पाऊंगी...
और बेशक याद कर लेना मुझे बीते पलों को याद करके -२
क्या पता अब कब तेरे जहन में आऊंगी-जाऊंगी...
और सुन ना मौत से भी बत्तर सजा मिली है इश्क करने की मुझे -२
क्या पता अब कब तेरी याद में सुकून की नींद सो जाऊंगी...
जानती हूं अब संभल गया है तू मुझे छोड़ कर -२
क्या पता मैं कब तक संभल जाऊंगी...
और वक्त ने चाहा तो मिलेंगे जरूर एक दिन -२
पर क्या पता उस वक्त मैं आंखें खोल भी ना पाऊंगी...
और जरा भी मोहब्बत बची हो जहन में तो तू सोच ले एक बार -२
तेरी खातिर तो मैं कुछ भी कर जाऊंगी...
और वादा रहा मेरा तुझसे मौत को अपनाने तक -२
तेरी तरह मैं अपने वादों से कभी मुकर नहीं जाऊंगी...
कभी मुकर नहीं जाऊंगी...