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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Drama Romance Fantasy

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Drama Romance Fantasy

बसन्त बाहर

बसन्त बाहर

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आई आई बसंत बहार 

लहलहाते खेत खलिहान

पीले फूल सरसों के खेतों में

बाली झूमें खुशियों की बान हज़ार।।

आई आई बसंत बाहर

लाहलाते खेत खलिहान।        


बजते बीना पाणि के

सारंगी सितार माँ की अर्घ्य

आराधना संस्कृति संस्कार भोर में

कोयल की मधुर तान।।

आई आई बसंत बहार

लहलहाते खेत खलिहान।।


गांव नगर गलियों में

फागुन की फाग उत्साह,

उमंग की टोली घूमे

बासंती बाला की गूंजे गान।।


आई आई बसंत बहार 

लहलहाते खेत खलिहान।।

रंगों की फर फर फुहार

होली की मस्ती निखार

उड़ते रंग अबीर गुलाल।।


आई आई बसन्त बाहर

लहलहाते खेत खलिहान।।

मिटे भेद उमर जाति पाँति के 

लागे सब आदमी इंसान।।            


आई आई बसंत बहार

लहलहाते खेत खलिहान।।

सारे गीले शिकवे हुए समाप्त

बैर भाव के टूटे दर दीवाल 


सम भाव का देश समाज।।

आई आई बसंत बयार 

लहलहाते खेत खलिहान।।


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