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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Drama Fantasy Inspirational

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Drama Fantasy Inspirational

मामूल

मामूल

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मसाहिल मिरे मामूल पर 

आएं तो आएं कैसे ।।

याद उनकी मिरे वजूद से 

जाए तो जाए कैसे ।।

तखलिया कह कर मोहब्बत का

पैमाना किया बे- इज्जत।। 

ऐसे हालात का एहसास ये 

अबोध बालक दिलाए 

तो दिलाये कैसे ।।


आशियाना बनाने का 

एक सुरूर था, हलफिया

गैरत का एक जुनून था ।।

बादशाही इल्म को 

सिर्फ फ़कीरी ज़ामा पहनाकर ।।

इतने बड़े जहान में 

कोई मुकाम दिलाये 

तो दिलाये कैसे ।।


जिस्म चोटिल है 

दिल घायल 

बिना तेरे नहीं साहिल 

अब मुझको इस फिल्म का

क्लाइमेक्स नज़र आये

 तो आये कैसे ।।

मसाहिल मिरे मामूल पर 

आएं तो आएं कैसे ।।

याद उनकी मिरे वजूद से 

जाए तो जाए कैसे ।।



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