जो आज फायदा उठाते हैं मेरी खामोशी का, मालूम नहीं उन्हें कभी तूफान थे हम ! जो आज फायदा उठाते हैं मेरी खामोशी का, मालूम नहीं उन्हें कभी तूफान थे हम !
बादशाही इल्म को सिर्फ फ़कीरी ज़ामा पहनाकर बादशाही इल्म को सिर्फ फ़कीरी ज़ामा पहनाकर