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Pratibha Mahi

Abstract Romance Fantasy

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Pratibha Mahi

Abstract Romance Fantasy

फागुन आयो, फागुन आयो रे.

फागुन आयो, फागुन आयो रे.

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फागुन आयो, फागुन आयो रे...

होरी है..............!

झूम झूम कर नाचै मनवा..2 मंगल गावै रे..

ढोल बाजै , ढोल बाजै , ढोल बाजै रे

फागुन आयो, फागुन आयो रे...

होरी है...............!


लोग लुगाई निकरे घर तैं - लै लै अपनी टोली

भरि भरि कण्ठ लगावें सबकूँ- बोलें मीठी

बोली

भूनि रहै गेंहूँ की बालें- पूजि रहे हैं होरी

देखो लायी-2 पकवानों से थाल सजाकर

गोरी

फागुन आयो, फागुन आयो रे...

होरी है...............!【01】


कान्हा के संग राधा देखो- करती खूब ठिठोली

बात बात पर देती उसको- देखो मीठी गोली

उढ़ा चुनरिया कान्हा को पहनाया लहंगा चोली

देखो छेड़ें-2 सारी सखियाँ- राधा खेलै होली

फागुन आयो, फागुन आयो रे...

होरी है...............!【02】


किधर छुपे हो मोरे बलमा- ढूँढे अखियाँ मोरी

अंग से अंग मिलाओ सजना- खेलो हम सँग होरी

रंग अभीर गुलाल लिए मैं- कब तक तोहि पुकारूँ

देखो बरसे- 2 नैनों अमृत- तोरी राह निहारूँ

फागुन आयो, फागुन आयो रे...

होरी है................!【03】


फूलों से घर द्वार सजाया- बंधनवार लगाये

अब तो आ भी जाओ 'माही'- हमसे रहा न जाये

आकर सजना कण्ठ लगालो तुम बिन कुछ ना भाये

देखो बीती-2 जायें घड़ियाँ वक्त गुज़र ना जाये

फागुन आयो, फागुन आयो रे...

होरी है................!【04】


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