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Goldi Mishra

Drama Fantasy

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Goldi Mishra

Drama Fantasy

मोड़ पर ठहरा किस्सा

मोड़ पर ठहरा किस्सा

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शहर के इस शोर में,

भीड़ के इस माहौल मे,

कुछ फसाने लिए कोई निकला,

कुछ ख़्वाब मुट्ठी में लिए कोई निकला।

गुजरा जिन राहों से हर मोड़ पर एक किस्सा ठहरा था,

हर कोई गहरे दबे एहसासो को किसी से कहना चाहता था।

किसी के हाथों में है खत,

किसी के हाथों में है थम चुका वक्त,

किसी की आंखों में इंतजार है,

किसी की आंखों में इज़हार है।


गुजरा जिन राहों से हर मोड़ पर एक किस्सा ठहरा था,

हर कोई गहरे दबे एहसासो को किसी से कहना चाहता था।

कोई टूट चुका है,

कोई सवरने चला है,

कोई चाहत में खुद को हार बैठा,

कोई पाकर किसी को खुद को भूल बैठा।

गुजरा जिन राहों से हर मोड़ पर एक किस्सा ठहरा था,

हर कोई गहरे दबे एहसासो को किसी से कहना चाहता था।


पीड़ उन पुराने जख्मों की,

निशानियां पहली उस चाहत की,

कुछ यादें कुछ झूठे वादे,

कुछ सूनी रातें कुछ तन्हा शामें।

गुजरा जिन राहों से हर मोड़ पर एक किस्सा ठहरा था,

हर कोई गहरे दबे एहसासों को किसी से कहना चाहता था।


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