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priyanka gahalaut

Classics Fantasy

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priyanka gahalaut

Classics Fantasy

एहसास कैसा

एहसास कैसा

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लिपटा रहा उंगलियों से 

वो एहसास जाने कैसा 

ना लिखा गया ना भूला गया 

ज़हन मे खुशबू जैसा


गुलजार की कविताओं

में लिखी कसक हो मानो,,

किताब के पन्नो में रचा बसा

सूखे गुलाब की खुश्बू जैसा


साँझ के आँचल में धूप छिप

के सो जाती है ज़ब

स्याह रात में सिसकती रात रानी

की रूहानी खुश्बू जैसा


यादों की तपिश ज़ब पिघलाने

लगती है एहसास की बर्फ

उथले समुद्री पानी में भीगे पत्थर

की अबूझ खुश्बू जैसा !


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