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priyanka gahalaut

Romance

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priyanka gahalaut

Romance

सतरंगी आसमां

सतरंगी आसमां

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याद है इक रोज तुमने...

मुझे तसल्ली भरी सुबह से..

अलसाई दोपहर के बाद..

मुज़तरिब साँझ से गुजरते हुए

दिखाए थे ठहरी रात के आसमान के

रंग!

उस रोज से पहले मेरे लिए आसमां,

दिन को उजला ओ रात को होता था स्याह..

दिन बीत जाता था बस ढूंढ़ते रात का स्याह..

रंग कुछ यूँ भी होते है ये मैं जानती थीं कहाँ..

त्रिवेणी घाट के भीगे साहिल के..

धूसर रेत पे उँगलियों से लिखा था हमारा नाम..

और मैंने डूबते सूरज की लालिमा में..

देखा था बहते आब में तुम्हारे प्रेम का सतरंगी आसमां!



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