प्रेम कोपल
प्रेम कोपल
किसी रोज़ आये ख्याल मेरा..
तुम उस मंदिर में हो आना..
जहाँ अक्सर होता था तेरा..
मेरे पीछे पीछे चले आना..
चंद कदमों की दूरी बरकरार रखते थे..
ओ दूर तलक जाता देख मुझे तेरा चले जाना..
मायूसी के साथ नहीं थी उम्मीद..
के कल सुबह को फिर है आना..
ऐसी मर्यादित मोहब्बत ऐसा संयम..
हाल ए दिल मगर जुबां पे ना लाना..
हर शहर हर गली में पनपती है कोपल एक ऐसी..
बेहद मुश्किल है उस प्रेम की व्याख्या कर पाना..