लम्हें जिंदगी के किताबें और मै
लम्हें जिंदगी के किताबें और मै
ख़्वाब था के तेरे साथ ,
कुछ लम्हें जिंदगी के बिताऊँ।
कितनी भी मुश्किल हो मंजिल ,
बस साथ तुम्हारे पाऊँ।
जितने भी रंग हो जीवन मे ,
उनमें मैं रंग जाऊं।
हो सतरंगी जीवन तुम संग ,
तितली सी इतराउं।
महकू सदा इत्र सी जब ,
मैं पास तुम्हारे आऊं।
आंखों में भर लूं तुमको ,
और दिल मे तेरे बस जाऊं।
दुनिया के मेले में मैं,
बस तुम संग ही खो जाऊं।
दुनिया रहे खोजती मुझको,
मगर नजर न आऊं।
पर देखो न ख्वाब ख्वाब था ,
पूरा कैसे होता?
कैसे मैं होती तेरी ,
और तू मेरा होता?
टूट गया है ख़्वाब और ,
लम्हा हर पीछे छूटा।
ताने वाने हुए खाक ,
और दिल भी मेरा टूटा।
चलो छोड़ो नए ख्वाब लेकर ,
हम कल फिर आएंगे।
फिर साथ तुम्हारे ख्वाबों का ,
शहर हम बसायेंगे।