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Indu shukla

Romance

4  

Indu shukla

Romance

लम्हें जिंदगी के किताबें और मै

लम्हें जिंदगी के किताबें और मै

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ख़्वाब था के तेरे साथ ,

    कुछ लम्हें जिंदगी के बिताऊँ।

कितनी भी मुश्किल हो मंजिल ,

     बस साथ तुम्हारे पाऊँ।


जितने भी रंग हो जीवन मे ,

        उनमें मैं रंग जाऊं।

हो सतरंगी जीवन तुम संग ,

        तितली सी इतराउं।


महकू सदा इत्र सी जब ,

       मैं पास तुम्हारे आऊं।

आंखों में भर लूं तुमको ,

     और दिल मे तेरे बस जाऊं।


दुनिया के मेले में मैं,

     बस तुम संग ही खो जाऊं।

दुनिया रहे खोजती मुझको,

      मगर नजर न आऊं।


पर देखो न ख्वाब ख्वाब था ,

          पूरा कैसे होता?

कैसे मैं होती तेरी ,

         और तू मेरा होता?


टूट गया है ख़्वाब और ,

      लम्हा हर पीछे छूटा।

ताने वाने हुए खाक ,

       और दिल भी मेरा टूटा।


चलो छोड़ो नए ख्वाब लेकर ,

          हम कल फिर आएंगे।

फिर साथ तुम्हारे ख्वाबों का ,

           शहर हम बसायेंगे।



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