प्यार
प्यार
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तुम प्रेम हो ... तुम प्रीत हो
मेरे अंतर्मन के गीत हो ...
तुम प्रेम हो कान्हा मेरे
तुम हृदय में , तुम प्राण में
निस दिन तुम्हीं हो ध्यान में ...
मुझमें धड़कते हो तुम्हीं
तुम दूर मुझसे हो कहां
परमात्म का स्पर्श हो
पुलकित हृदय का हर्ष हो
तुम हो समर्पण का शिखर
तुम ही मेरा उत्कर्ष हो
तुम प्रेम हो .. तुम प्रीत हो
कान्हा तुम मेरे मनमीत हो ।