STORYMIRROR

Amit Srivastava

Abstract Romance

4  

Amit Srivastava

Abstract Romance

बुकमार्क

बुकमार्क

1 min
267

कोई एक पल जिंदगी का 

कभी रह जाता है, कहीं 

ढेर सारे गुजरते लम्हों के बीच,

जिसे हमने सहेज के रखा था 

पुराने पन्नों के भीतर 

और फिर,

किसी दिवस,अनायास ही 

वो फिर मिल जाता है 


उन्ही स्याह पन्नों के बीच, 

ज़िनमे अंकुरित हर एक शब्द 

कुछ कहते नहीं, मौन रहते हैँ 

ज़िनमे उकेरी हर एक आकृती 

अब सीधी सपाट रेखायें मात्र लगती हैँ 

तुम्हारा छोड़ा हुआ पल 

मिल जाता है,उसी बंद किताब में

वर्तमान और मुड़े हुए अतीत के मध्य 


बस,

किसी सुनहरे बुकमार्क की तरह.....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract